पुणे बनेगा Hyundai का ग्लोबल EV हब, इंडिया से होगी दुनिया भर में सप्लाई

नई दिल्ली: इंडिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। Hyundai इंडिया में ही डिजाइन और लॉन्च की गई पहली इलेक्ट्रिक कार लाने वाली है। कंपनी पुणे स्थित अपने प्लांट की क्षमता बढ़ा रही है ताकि वहां ज्यादा से ज्यादा EV बनाई जा सके। Hyundai ने तय कर लिया है कि भारत को वो अपनी EV ग्रोथ की बैटरी बनाएगी। यहां कार भी बनेगी, बैटरी भी लोकल होगी, और इंडिया से दूसरे देशों में एक्सपोर्ट भी होगा।

कंपनी का दावा है कि Hyundai का पुणे का प्लांट एक्सपोर्ट सेंटर बनेगा। बैटरी सस्ती होगी। कारें स्मार्टफोन जैसी अपडेटेबल होंगी । पुणे प्लांट की क्षमता 2030 तक 2.5 लाख गाड़ियों तक बढ़ाई जाएगी। आने वाले वक्त में भारत से Hyundai की गाड़ियां पूरी दुनिया में भेजी जाएंगी।

न्यूयॉर्क में हुए Hyundai के ग्लोबल CEO Investor Day में कंपनी की ओर से ऐलान किया गया कि Hyundai का लक्ष्य 2030 तक दुनिया भर में 55.5 लाख गाड़ियां बेचने का है, जिनमें से 60% इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड मॉडल होंगे। Hyundai इंडिया में 2030 तक यहां 6 नई इलेक्ट्रिक गाड़ियां लॉन्च करेगी। इनमें से एक सब-कॉम्पैक्ट SUV होगी, जिसका कोडनेम फिलहाल HE1i रखा गया है। बैटरी पैक भी अब देश में ही बनाए जाएंगे। इसके लिए Hyundai ने Exide Industries और Amara Raja जैसी कंपनियों के साथ हाथ मिलाया है।

Hyundai इंडिया के पुणे प्लांट को मल्टी-मॉडल एक्सपोर्ट हब बनाएगी। Hyundai ने कहा है कि 2027 से वो ऐसी इलेक्ट्रिक गाड़ियां लॉन्च करेगी, जो एक बार चार्ज होने पर करीब 960 किलोमीटर (600 मील) तक चल सकेंगी। Hyundai नई बैटरी टेक्नोलॉजी लाने की तैयारी में है, जिससे गाड़ियां और ज्यादा सुरक्षित और टिकाऊ होंगी। Hyundai अपनी गाड़ियों को सॉफ्टवेयर-डिफाइंड व्हीकल (SDV) बनाने जा रही है। भविष्य की कारें कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर से पूरी तरह कंट्रोल होंगी, जैसे मोबाइल फोन में अपडेट आता है वैसे ही कारों में भी आएगा।

Hyundai का लक्ज़री ब्रांड Genesis भी हाइब्रिड और बैटरी इलेक्ट्रिक गाड़ियां लॉन्च करेगा। Hyundai ने बड़ी-बड़ी टेक और ऑटो कंपनियों – Waymo (सेल्फ ड्राइविंग टेक), General Motors और Amazon Autos – के साथ साझेदारी की है। इससे उन्हें नई टेक्नोलॉजी और मार्केट दोनों में मजबूती मिलेगी। Hyundai ने साफ किया है कि 2030 तक करीब 4.8 लाख करोड़ रुपये (KRW 77.3 ट्रिलियन) का निवेश किया जाएगा।