नई दिल्ली: सरकार ने GST 2.0 से ऑटो इंडस्ट्री को शानदार तोहफा देने का ऐलान किया है। यह 22 सितंबर से लागू होगा। इस नई टैक्स पॉलिसी का सबसे बड़ा असर ऑटो सेक्टर पर दिखने वाला है। छोटे और मिड-साइज़ कारों पर GST अब 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है, जबकि लक्जरी कारों को 40% टैक्स स्लैब में रखा गया है। सेस (Cess) पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे बड़ी SUV और MPV भी सस्ती हो जाएंगी।
अब तक छोटे पेट्रोल-डीज़ल वाहनों पर 28% GST और अलग-अलग Cess लगकर टैक्स की दर 31% तक पहुँच जाती थी। वहीं SUV और बड़ी कारों पर कुल टैक्स बोझ 50% तक था। लेकिन नई व्यवस्था में स्ट्रक्चर सरल हो गया है। छोटी और मिड-साइज़ कारों पर सिर्फ 18% GST लगेगा। लक्ज़री कारें और SUV पर 40% GST लगेगा। सेस खत्म कर दिया गया है।
GST 2.0 के बाद Maruti Alto K10 की कीमत 4.23 लाख से घटकर लगभग 3.81 लाख रुपये हो जाएगी। Maruti Swift और Dzire खरीदने में करीब 60,000 रुपये की बचत होगी। Hyundai Grand i10 की कीमत 5.98 लाख से घटकर लगभग 5.51 लाख रुपये हो जाएगी। Maruti S-Presso की कीमत 4.26 लाख रुपये से घटकर 3.83 लाख रुपये हो जाएगी। Tata Tiago की कीमत 5.65 लाख से घटकर 5.15 लाख रुपये हो जाएगी। Renault Kwid में लगभग 40,000 रुपये की कमी आएगी। Tata Nexon – करीब 80,000 रुपये सस्ती होगी। Hyundai Creta की कीमत में लगभग 3% की कमी होगी। Mahindra Thar – 45-50% टैक्स से घटकर अब 40% टैक्स होगा।
छोटे कार सेगमेंट में दोबारा जान आएगी। जहां पिछले कुछ सालों से गिरावट दिख रही थी। ग्राहकों को कार खरीदने में 10-15% तक की बचत होगी। SUV और MPV जैसे बड़े सेगमेंट में भी कीमतें नरम होंगी, जिससे डिमांड और सेल्स दोनों बढ़ेंगे। ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के लिए प्रोडक्शन और सेल्स टारगेट आसान होंगे। GST 2.0 ने कार खरीदने का सपना लाखों भारतीयों के लिए और आसान बना दिया है।
वित्त मंत्रालय द्वारा वाहनों पर GST दरों में कटौती की घोषणा का इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के टॉप ऑर्गेनाइजेशन SIAM के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने स्वागत करते हुए कहा कि सरकार के इस समय पर लिए गए कदम से इंडियन ऑटोमोटिव क्षेत्र में नई जान आएगी। सरकार ने वाहनों पर जीएसटी को पहले की 28% से 31% और 43% से 50% की दरों से घटाकर क्रमशः 18% और 40% कर दिया है. इस फैसले से खास तौर पर इस त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं के लिए नया उत्साह पैदा होगा। इस कदम से वाहन, विशेषकर entry-level वाले सेगमेंट में और अधिक किफायती हो जाएंगे, जिससे पहली बार वाहन खरीदने वाले और मध्यम-आय वाले परिवारों को काफी लाभ होगा। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर 5% की जीएसटी दर को जारी रखने के लिए भी सरकार का धन्यवाद किया, जो स्थायी गतिशीलता को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
इसके अलावा SIAM ने वर्गीकरण से जुड़ी व्याख्याओं (classification interpretations) और उलटे शुल्क ढांचे (inverted duty structure) में सुधार का भी स्वागत किया, जिससे ऑटोमोटिव उद्योग में व्यवसाय करना आसान होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार जल्द ही बिना बिके वाहनों पर क्षतिपूर्ति उपकर (compensation cess) के लिए उपयुक्त तंत्र भी अधिसूचित करेगी, जिससे एक सुचारु और प्रभावी बदलाव सुनिश्चित होगा.
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस FADA के अध्यक्ष सी. एस. विग्नेश्वर ने इस कदम को ऑटोमोबाइल खुदरा उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा, “FADA उन साहसिक और प्रगतिशील सुधारों का दिल से स्वागत करता है जो कर ढांचे को सरल बनाते हैं, सार्वजनिक परिवहन के लिए दरों को कम करते हैं और सभी राज्यों में आम सहमति बनाते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि यह एक निर्णायक कदम है जो वहनीयता को बढ़ाएगा, मांग को प्रोत्साहित करेगा और भारत के परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत और समावेशी बनाएगा.
श्री विग्नेश्वर ने प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और जीएसटी परिषद को इस साहसिक निर्णय के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि डीलरों के खातों में पड़े उपकर शेष (cess balance) के संबंध में जल्द से जल्द स्पष्टीकरण की आवश्यकता है ताकि बदलाव के दौरान कोई भ्रम न हो। उन्होंने जोर दिया कि त्योहारों के चरम सीजन को देखते हुए ग्राहकों तक इन लाभों को बिना किसी रुकावट के पहुंचाना महत्वपूर्ण है। कहा, “FADA सरकार और जीएसटी परिषद के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि जीएसटी 2.0 को उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों के लिए एक आदर्श सुधार बनाया जा सके – जो सरल, पारदर्शी और विकासोन्मुखी हो.”
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ACMA की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने इस फैसले को एक ऐतिहासिक सुधार बताया और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “सभी ऑटो कंपोनेंट्स पर GST को एक समान 18% तक तर्कसंगत बनाना ACMA की लंबे समय से चली आ रही मांग थी। यह निर्णायक कदम ग्रे मार्केट पर लगाम लगाएगा, गुणवत्तापूर्ण कंपोनेंट्स के उपयोग को बढ़ावा देगा, अनुपालन को आसान बनाएगा और एमएसएमई को सहायता प्रदान करेगा। इससे भारत के 80.2 बिलियन डॉलर के ऑटो कंपोनेंट उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता और लचीलापन मजबूत होगा।” उन्होंने छोटे निर्यातकों के लिए ICEGATE के माध्यम से तेज निर्यात रिफंड दावों की जीएसटी परिषद की मंजूरी का भी स्वागत किया। उनके अनुसार, यह निर्णय लंबित शिपिंग बिलों का भुगतान करने और नकदी की कमी को कम करने में मदद करेगा।