नई दिल्ली: इंडिया में ऑनलाइन गेमिंग पर अब एक नई बहस तेज़ हो गई है। एक तरफ करोड़ों लोग इसे रोज़ मनोरंजन और आय का साधन मानते हैं, तो दूसरी तरफ सरकारें इसके बढ़ते असर को लेकर सख्ती दिखा रही हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कौशल आधारित गेमिंग और जुए में अंतर करना ज़रूरी है, देश में फिलहाल 100 मिलियन से ज़्यादा ऑनलाइन गेमर्स हैं और इनमें से 40% युवा 18–24 साल की उम्र के बीच हैं। इंडस्ट्री रिपोर्ट कहती है कि यह सेक्टर 2025 तक 300 अरब रुपये का हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय की तरफ से ऑनलाइन गेमिंग बिल लाया जा रहा है जिसे बुधवार को लोक सभा में पेश किया जा सकता है। ऑनलाइन गेमिंग में बेटिंग को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा और इसके तहत सात साल की कैद और 10 लाख तक के जुर्माने का प्रविधान किया जा रहा है। सरकार ने पिछले चार-पांच सालों में 1400 से अधिक एप को प्रतिबंधित किया गया है। ड्रीम 11 जैसे गेमिंग एप पर भी प्रतिबंध लग सकता है। बिल के मुताबिक किसी भी बैंक को ऑनलाइन गेमिंग खेलने के लिए ट्रांजेक्शन करने की इजाजत नहीं होगी। क्रिकेट टीम बनाने वाली ड्रीम 11 जैसे गेमिंग एप पर भी प्रतिबंध की गाज गिर सकती है।
अभी बड़े-बड़े क्रिकेट स्टार व अन्य हस्तियां ऑनलाइन गेमिंग एप का प्रचार करते हैं। इस प्रकार के गेमिंग एप का प्रचार करने पर भी अब जुर्माना लगेगा। भारत में फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार 3.8 अरब डालर का है। सरकार इस दिवाली से ऑनलाइन गेमिंग पर 40% GST लगाने की तैयारी में है। ऑनलाइन गेमिंग पर इस बिल का मकसद असली पैसों वाले ऑनलाइन गेम्स को कंट्रोल करना है।
सट्टेबाज़ी, धोखाधड़ी और गेमिंग की लत को रोकने के लिए यह नियंत्रण लगाया जाएगा। सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि ऐसे गेम्स का प्रचार करने वालों पर भी रोक होगी, यानी सेलिब्रिटीज और इन्फ्लुएंसर्स भी इसके दायरे में आएंगे। इसके साथ ही बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को आदेश दिया जा सकता है कि वे इन ऑनलाइन गेम्स से जुड़े लेन-देन रोक दें। आने वाले समय में सरकार की पॉलिसी और सुप्रीम कोर्ट का रुख तय करेगा कि गेमिंग इंडस्ट्री देश में किस राह पर जाएगी।