जुलाई 2025 में ऑटो बाजार पर बारिश की मार, ट्रैक्टर बना हीरो : FADA

नई दिल्ली: बरसात की बूंदें जहां किसानों के लिए राहत बनीं, वहीं ऑटो बाज़ार के कुछ हिस्सों के लिए ब्रेक। जुलाई 2025 के ऑटो रिटेल डेटा के अनुसार कुल बिक्री में 4.31% की गिरावट दर्ज हुई है, और महीने-दर-महीने भी रफ्तार करीब 2% धीमी रही। त्योहारों की दस्तक के साथ अगस्त में उछाल की पूरी संभावना दिख रही है। इंडिया में Federation of Automobile Dealers Associations (FADA) ने जुलाई 2025 के लिए वाहनों की रिटेल बिक्री (डीलरशिप से सीधे ग्राहकों को बेची गई गाड़ियों) के आंकड़े जारी किए हैं। FADA की रिपोर्ट में बताया गया है कि इंडिया में जुलाई 2025 में कितनी गाड़ियां बिकीं, किस सेगमेंट में कितनी बिक्री हुई।

गांवों में लगातार बारिश और खेतों में बढ़ते काम ने टू-व्हीलर की बिक्री को बड़ा झटका दिया। ऊपर से खरीदारों ने भी फैसला टाल दिया। उनका सोचना था कि अब तो अगस्त में ही खरीदेंगे, जब त्योहार आएंगे। इससे जुलाई की बिक्री में 6.48% की सालाना गिरावट और 6.28% की मासिक गिरावट आई। शहरों में ग्राहक शोरूम में पहुंचे तो सही, लेकिन मन नहीं बना। गांवों में आषाढ़ जैसे शुभ मौकों पर बिक्री थोड़ी बढ़ी। सालाना बिक्री में 0.81% की गिरावट पर महीने-दर-महीने 10.38% की रिकवरी भी दिखी।

केवल थ्री-व्हीलर सेगमेंट ने जुलाई में संतुलन बनाए रखा। 0.83% की सालाना बढ़त और
 10.73% की मासिक उछाल ने उम्मीद दी। शहरों में नए मॉडल्स, स्कूल बस खरीद और इंस्टिट्यूशनल ऑर्डर्स ने CV सेगमेंट को थोड़ी रफ्तार दी। सालाना 0.23% की हल्की सी ग्रोथ दर्ज हुई।

जहां बाकी सेगमेंट धीमे थे, ट्रैक्टर की जोरदार बिक्री हुई। सरकारी सब्सिडी, मूसलाधार बारिश और गांवों में नकदी का बहाव – तीनों ने मिलकर ट्रैक्टर की बिक्री को आसमान पर पहुंचा दिया। 10.96% की शानदार सालाना ग्रोथ रही और 14.9% की महीने दर महीने छलांग लगाई। फेस्टिव सीजन की शुरुआत, मॉनसून की मजबूती और सरकारी स्कीम्स अगस्त में ऑटो सेक्टर की बिक्री को नई रफ्तार दे सकते हैं।

इंडियन नट-बोल्ट्स का धमाका, भारत बना ग्लोबल ऑटो स्पेयर पार्ट्स का पावरहाउस : ACMA

नई दिल्ली : अब सिर्फ कारें और एससूवी ही सड़कों पर नहीं दौड़ रहीं है, उनके कंपोनेंट्स और पार्ट्स भी कमाई के ट्रैक पर फर्राटा भर रहे हैं। इंडिया की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री ने 2024-25 में 6.73 लाख करोड़ रुपये का जबरदस्त टर्नओवर दर्ज किया है। क्लच, ब्रेक, स्टीयरिंग और सस्पेंशन अब सिर्फ कार चलाने के काम नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ACMA (Automotive Component Manufacturers Association of India) की रिपोर्ट के अनुसार FY20 से FY25 के बीच इंडस्ट्री ने 14% की CAGR ग्रोथ दर्ज की। पिछले 5 वर्षों में इंडस्ट्री लगभग दोगुनी हो गई है।

पिछले पांच सालों में इस सेक्टर ने 14% की सालाना ग्रोथ के साथ दोगुना विकास किया है। एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भी इंडिया ने दुनिया को दिखाया है कि हम सिर्फ गाड़ियां नहीं, क्वॉलिटी कलपुर्जे भी बनाते हैं। अमेरिका और एशिया में डिमांड तेजी से बढ़ी है। अमेरिका में 8% और एशिया में 15% की ग्रोथ दर्ज की गई है। कुल मिलाकर इंडिया ने 22.9 बिलियन डॉलर की एक्सपोर्ट कमाई की, और इम्पोर्ट के मुकाबले 453 मिलियन डॉलर का ट्रेड सरप्लस हासिल किया।

इंडिया की कार निर्माता कंपनियों को भी 5.7 लाख करोड़ रुपये के पार्ट्स सप्लाई किए गए है। भारत अब पुर्जों की सप्लाई के मामले में आत्मनिर्भर बन रहा है। रिपेयर और रिप्लेसमेंट का बाजार भी 1 लाख करोड़ के करीब पहुंच चुका ह। गांवों, कस्बों और ऑनलाइन ऑर्डर करने वाले वाले यूज़र्स की वजह से यह उछाल आया है।

अब इंडिया सिर्फ गाड़ियों की असेंबली करने वाला देश नहीं रहा। अब हमारा देश दुनिया की गाड़ियों के कंपोनेंट और पाटर्स पूरे स्टाइल और क्वॉलिटी के साथ बना रहा है। जो सेक्टर कभी गाड़ियों के पीछे छुपा रहता था, आज वही ग्लोबल स्टेज पर स्पॉटलाइट में है। भारत की ऑटो कंपोनेंट्स इंडस्ट्री अब दुनिया के ऑटोमोटिव नक्शे पर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा चुकी है। अब इंडिया सिर्फ “मेक इन इंडिया” नहीं कर रहा, मेकिंग फॉर द वर्ल्ड कर रहा है। बड़ी कंपनियां भारत को सिर्फ एक सप्लायर नहीं, एक भरोसेमंद पार्टनर मानने लगी हैं।